मिर्ज़ा गालिब उवाच
न बुध्यन्ते मम गिरः न भोत्स्यन्ते कदापि ते ।
देहि तेभ्यः हृदन्यं वा जिह्वामन्यां महेश मे ॥
“या रब वो न समझे हैं न समझेगे मेरी बात
दे और दिल उन को या दे मुझको ज़ुबान और ॥“ मिर्ज़ा गालिब्
“Dear God, they have not understood, nor will ever understand what I am trying to say. Either give them a new heart or give me a different tongue”
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